योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 82

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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पंद्रहवाँ अध्याय
राजसूय यज्ञ


जब युधिष्ठिर ने देखा कि भीम, अर्जुन और कृष्ण सब इस लड़ाई के लिए बद्धपरिकर हैं तो कृष्ण से उसने जरासंध का इतिहास पूछा। कृष्ण ने सारा वृत्तान्त सुनाकर अन्त में कहा कि जरासंध के बड़े-बड़े योद्धा जिन पर उसे बड़ा भरोसा था, वे सब मर गये हैं। इसलिए अब समय आ पहुँचा है कि उसका नाश किया जावे। किन्तु सीधी लड़ाई में उस पर विजयी होना संभव नहीं है। हमारा विचार है कि उससे मल्लयुद्ध करके उसका वध किया जावे! आप मेरी नीति और भीम के बल पर विश्वास रखें। अर्जुन हम दोनों की रक्षा करेगा। हमारा तो विश्वास है कि हम तीनों मिलकर अवश्य उसको मार डालेंगे।

जब हम तीनों उसके पास जायेंगे तो यह अनिवार्य होगा कि वह हममें से किसी एक से लड़े। वरन् उसके अभिमान का विचार कर कहना पड़ता है कि वह भीम से ही लड़ने को तैयार होगा। बस फिर क्या है, जिस तरह मृत्यु दंभी पुरुष का विनाश कर देती है उसी तरह भीमसेन जरासंध का वध कर डालेगा। यदि आप मेरे भीतर की बात पूछते हैं या आपको मुझमें कुछ भी श्रद्धा है तो आप अब तनिक भी देर मत कीजिए और अर्जुन और भीम को मेरे साथ कर दीजिए। युधिष्ठिर इस उचित परामर्श को कैसे ठुकराता।

कृष्ण की अन्तिम अपील ने युधिष्ठिर को पिघला दिया और उन्होंने नम्रतापूर्वक कृष्ण का हाथ चूमा और गद्गद होकर कहने लगे, "किसकी सामर्थ्य है जो कृष्ण और अर्जुन का सामना कर सके, पुनः जब भीम उनके साथ है। प्रत्येक चढ़ाई की सफलता सेनापति की बुद्धिमत्ता पर निर्भर होती है। जिस सेना का आधिपत्य कृष्ण के हाथ में हो, उसकी सफलता में क्या संदेह है? इसलिए अर्जुन! तुम्हें उचित है कि तुम कृष्ण में श्रद्धा रखकर उनको अपना नेता मानो और भीम को भी चाहिए कि वे अर्जुन के तेज को अपना अग्रगामी बनाये।"

जहाँ नीति, तेज और शूरता ये तीन गुण एकत्र हो जाते हैं, वहाँ सफलता हाथ जोड़कर खड़ी रहती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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