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बहुआयामी व्यक्तित्व
लाला लाजपतराय का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे एकसाथ ही उत्कृष्ट वक्ता, श्रेष्ठ लेखक, सार्वजनिक कार्यकर्ता, सेवाभावी समाजसेवक, राजनैतिक नेता, शिक्षाशास्त्री, चिन्तक, विचारक तथा दार्शनिक थे। आर्यसमाज से ही उन्होंने देश-सेवा का पाठ पढ़ा था और स्वामी दयानन्द से उन्होंने समर्पण तथा सेवा का आदर्श ग्रहण किया था। उनके शब्दों में- आर्यसमाज मेरी माता तथा स्वामी दयानन्द मेरे धर्मपिता हैं। मैंने देश-सेवा का पाठ आर्यसमाज से ही पढ़ा है। लाला जी के बलिदान के पश्चात देशबंधु चित्तरंजनदास की पत्नी श्रीमती बंसती देवी ने एक वक्तव्य प्रसारित कर कहा था कि क्या देश में कोई ऐसा क्रान्तिकारी युवक नहीं है जो भारत केसरी लालाजी की मौत का बदला ले सके? जब यह बात सरदार भगत सिंह तक पहुँची तो उसने लाला जी पर लाठियों का प्रहार करने वाले साण्डर्स को मारकर उस अमर देश-भक्त की मौत का बदला ले लिया। लाला लाजपतराय देश के स्वाधीनता संग्राम के महान सेनानी थे। देशवासी उनके त्याग और बलिदान को सदा स्मरण रखेंगे।
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