योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 47

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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पहला अध्याय
कृष्ण की जन्मभूमि


सिंकदर लोधी के पश्चात जहाँगीर के समय तक मथुरा ने पुनः चैन की साँस ली, परन्तु फिर औरंगजेब का आक्रमण हुआ। सन 1669 ई. में औरंगजेब ने मथुरा पर आक्रमण किया और केशवदेव के बड़े भारी मन्दिर को गिरवाकर ही लौटा। इसी अवसर पर मथुरा का नाम इस्लामाबाद या इस्लामपुर रखा गया। इस मन्दिर पर 33 लाख की लागत आई थी। इस मन्दिर की मूर्तियाँ नवाब कुदसिया बेगम की मस्जिद[1] की सीढ़ियों में दबा दी गई ताकि वे प्रत्येक आने-जाने वाले के नीचे आवें और मन्दिर की जगह एक बड़ी भारी मस्जिद तैयार की गई जो अब तक बनी हुई है। इस मन्दिर का नीचे का चबूतरा 286 × 268 फुट था। अन्ततः मुसलमानी अत्याचार का समय बीता और औरगंजेब के मरते ही हिन्दुओं का भाग्य फिर जगा! मथुरा प्रांत पर जाटों ने अधिकार जमाया और वे अंग्रेजी राज्य से लड़ते-भिड़ते इस प्रांत के कुछ-न-कुछ भाग को अपने अधीन बनाये रहे। मथुरा की वर्तमान इमारतें इसी समय की बनी हुई हैं। इन इमारतों की बनावट ऐसी उत्तम है कि ये भारतवर्ष की दर्शनीय इमारतों में गिनी जाती हैं। हम अन्य इमारतों को छोड़कर केवल उन्हीं इमारतों का यहाँ उल्लेख करेंगे जिनका कृष्ण की जीवनी से कुछ संबंध है।

(1) केशवदेव के नवीन मन्दिर के निकट एक जलाशय है जो पोतड़ा कुंड कहा जाता है, जिसमें कृष्ण महाराज के पोतड़े धोए जाते थे।
(2) इसी जलाशय के तट पर एक कोठरी है जो ‘कारागृह’ के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें वसुदेव और देवकी बंदी बनाकर रखे गये थे। यही कोठरी है जहाँ पुराणों के अनुसार कृष्ण ने जन्म लिया।
(3) यमुना के सब घाटों में विश्रामघाट प्रसिद्ध है। इसके विषय में किवदंती है, कि कंस का वध करके कृष्ण और बलराम ने यहाँ विश्राम किया था। इस घाट की इमारतें दर्शनीय हैं।
(4) योग घाट उस स्थान का नाम है जहाँ कहते हैं कि कंस ने नंद और यशोदा की सद्योजात बालिका योगनिद्रा को[2] देवकी की संतान समझकर जमीन पर दे मारा और वहाँ से वह देवी का रूप धारण करके आकाश मार्ग में चली गई।
(5) ‘कुब्जा कुआ’ नामक स्थान पर वृन्दावन से लौटते समय कृष्ण ने एक कुबड़ी की कमर सीधी कर दी थी। इसे एक चमत्कार माना जाता है।
(6) इसी प्रकार रणभूमि वह स्थान है जहाँ कृष्णबलराम ने कंस के पहलवानों से युद्ध करके उन्हें पराजित किया था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जो आगरा में है।
  2. जो देवकी के साथ लेटी हुई थी।

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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