योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 37

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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7. पुराणों की प्राचीनता


(9) कृष्ण तथा महाभारत का समय- महाभारत के समय का निर्णय करना तनिक कठिन है क्योंकि उस समय को कोई यथाक्रम इतिहास मौजूद नहीं, परन्तु इस विषय में अनुसंधान द्वारा जो-जो बातें अब तक जानी गई हैं उन्हें हम पाठकों के सूचानार्थ लिखते हैं-

(अ) यह बात हिन्दुओं में साधारणतः प्रसिद्ध है कि महाभारत के युद्ध से कलियुग का आरम्भ हुआ है और कृष्ण का जन्म द्वापर में हुआ है। कलियुग को आरम्भ हुए लगभग 5000 वर्ष माने जाते हैं। गणितशास्त्र वाले भी कलियुग का आरम्भ 4996 वर्ष से निश्चय करते हैं।

(क) कश्मीर के इतिहास ‘राजतरंगिणी’ का लेखक कल्हण लिखता है कि कलियुग के 653वें वर्ष में गौड नामक राजा कश्मीर में वर्तमान था और युधिष्ठिर तथा कौरव वन में थे। गौड ने लगभग 65 वर्ष राज्य किया जिससे युधिष्ठिर का समय लगभग 2400 वर्ष मसीह से पूर्व स्थिर होता है अर्थात आज से 4300 वर्ष होते हैं।

(ख) विष्णुपुराण से ज्ञात होता है कि युधिष्ठिर का पोता परीक्षित राजा नन्द से 1015 वर्ष पहले हुआ। पहला राजा चन्द्रगुप्त से 100 वर्ष पूर्व हुआ। चन्द्रगुप्त ने मसीह से 3015 वर्ष पहले राज्य पाया जिससे परीक्षित का समय 1430 वर्ष मसीह पूर्व स्थिर होता है।

(ग) एक दूसरे स्थान पर विष्णुपुराण का समय 1200 वर्ष कलियुगी ठहराता है जिससे परीक्षित का काल लगभग 1900 वर्ष मसीह पूर्व सिद्ध होता है।

(घ) महाभारत के पढ़ने से विदित होता है कि जिस समय महाभारत की लड़ाई हुई थी उस समय छोटा दिन और सबसे बड़ी रात माघ महीने में हुआ करती थी क्योंकि भीष्म पितामह सूर्य के[1] दक्षिण में चले जाने पर मृत्यु को प्राप्त हुए। परन्तु अब 24 दिसम्बर को सबसे बड़ी रात और सबसे छोटा दिन होता है। ज्योतिषविद्या के जानने वाले बताते हैं कि इस परिवर्तन को हुए कम-से-कम 3426 वर्ष हुए हैं जिससे यह परिणाम निकलता है कि महाभारत को भी 3426 वर्ष से कम नहीं हुए, अधिक चाहे कुछ और हों।

(च) ज्योतिषविद्या की सहायता से जो यह परिणाम निकलता है उसके विषय में मि. बाल गंगाधर तिलक ने ‘ओरयिन’ नामक अपने ग्रंथ में बहुत कुछ तर्क-विर्तक करने के पश्चात लिखा है कि वह समय जब माघ मास में सूर्य उत्तरायण में होता था बहुत प्राचीन सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त प्राचीन संस्कृत साहित्य में महाभारत के प्रायः सभी वीरों का वर्णन आता है, जिससे यूरोपीय पुरातत्त्वज्ञ सिद्ध करते हैं कि महाभारत की असली लड़ाई इन ग्रंथों के रचे जाने से बहुत पहले हो चुकी थी।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ख़ते उस्तवा

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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