योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 23

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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2. वैदिक महापुरुष


उन्नीसवीं शताब्दी के इस अंग्रेजी विद्वान ने जो भाव इस पुस्तक में प्रकट किये हैं, वे लाखों वर्ष पूर्व आर्यावर्त में आर्य ऋषियों द्वारा उनकी पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके हैं- संस्कृत भाषा के प्राचीन ग्रन्थों में ‘अग्नि’ शब्द का प्रयोग[1] विद्वान ऋषि, मुनि, आप्त, पुरुषों और महात्माओं के लिए हुआ है। यह भाव ऐसा सर्वव्यापक है मानों प्रत्येक भाषा और प्रत्येक देशवासी इसी रँग में रँगा है। संस्कृत भाषा में देव या देवता परमात्मा के लिए आता है। परन्तु महान पुरुषों के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है।

  • अंग्रेजी में गॉड के अर्थ परमेश्वर के है; परन्तु उसी ‘गॉड’ शब्द का बहुवचन ‘गॉडस’ देवताओं के लिए आता है। मुसलमान मतावलम्बी हजरत मुहम्मद को नूरे इलाही कहते हैं।
  • उधर ईसाई हजरत मसीह को ‘खुदा का बेटा’ मानते हैं।
  • बौद्वमत वाले महात्मा बुद्ध को ‘लार्ड’ कहकर पुकारते हैं।
  • इसी प्रकार आर्यगण श्रीराम और श्रीकृष्ण को अवतार कहते हैं। हिन्दुओं में आप्त पुरुष, ऋषि, मुनि और विद्वानों के आदर और पूजन की परिपाटी वैदिक समय से चली आती है। वेदमंत्रों में स्थान-स्थान पर आज्ञा दी गई है कि तुम धर्मात्मा और आप्त पुरुषों का सत्कार करो उनकी पूजा को अपना परम धर्म समझो।
  • आर्य लोगों के नित्य कर्म में भी विद्वानों और आप्त पुरुषों के पूजन को एक मुख्य कर्तव्य कहा है और हर एक यज्ञ और उत्सव पर इसका करना आवश्यक समझा है।
  • ब्राह्मण ग्रन्थ, उपनिषद और दूसरे आर्य ग्रन्थों में इस विषय की पूरी-पूरी विवेचना की गई है। पर किसी वैदिक ग्रन्थ में किसी महात्मा या आप्त पुरुष को परमात्मा का पद नहीं दिया है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जिसका प्रयोग वैदिक ग्रन्थों में अद्वैत परमात्मा के लिए हुआ है

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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