योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 142

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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पैंतीसवाँ अध्याय
कृष्ण महाराज की शिक्षा


अनाश्रितः कर्मफलं कार्य कर्म करोति यः।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।1।।

अर्थ- संन्यासी और योगी वही है जो कर्मो के फल की परवाह न करता हुआ कर्म को कर्त्तव्य समझकर करता है, न कि वह जो कभी आग नहीं जलाता और कुछ कर्म नहीं करता।

श्लोक 16 में फिर कहा है कि-

नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकांतमनश्नतः।
नचाति स्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन।।16।।

अर्थ- हे अर्जुन, योग उसके लिए नहीं है जो अधिक खाता है या जो बहुत ही कम खाता है और न उसके वास्ते है जो बहुत सोता है या बहुत जागता है।

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा।।17।।

अर्थ- दुख नाश कर देने वाला योग उसके लिए है जो नियम से खाता है, नियम से सोता है और जागता है, और नियम से ही सब काम करता है।

नवें अध्याय के 27वें श्लोक में फिर लिखा है।

यत्करोषियदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम।।।27।।

अर्थ- सब कर्मो को ईश्वर परायण होकर करने का उपदेश दिया है। हे कुन्तीपुत्र, जो कुछ तू करे, जो कुछ तू खाये, जो कुछ तू भेंट करे, जो कुछ तू दान करे, अथवा जो तू तप करे वह सब मुझे अर्पण कर।

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योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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