योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 139

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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पैंतीसवाँ अध्याय
कृष्ण महाराज की शिक्षा


पाठको! अब हम संक्षेप में यह बतलाना चाहते हैं कि कृष्ण महाराज की संपूर्ण शिक्षा का सारांश हमको भगवद्गीता के दूसरे अध्याय तथा महाभारत के कतिपय श्लोकों में प्राप्त होता है। कृष्ण महाराज की शिक्षा के अनुसार मनुष्य-जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवद्गीता के अध्याय दूसरे में वर्णित किया गया।

रागद्वेषवियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन्।
आत्मवश्यैर्विधेयात्मा प्रसादमधिगच्छति।।64।।
प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।
प्रसन्नचेतसोह्याशु बुद्धिः पर्य्यवतिष्ठते।।65।।

अर्थ- जो मनुष्य इन्द्रियों को वश में करके राग-द्वेष रहित हो इन्द्रियों के विषयों[1] में आचरण करता है और इसलिए शुद्ध अन्तःकरण रखता है वही प्रसाद अर्थात आनन्द को प्राप्त हो सकता है। ।।64।।
अर्थ- इसी आनन्द में सब दुखों का नाश हो जाता है अर्थात सब दुःख दूर हो जाते हैं। अस्तु, स्थिर बुद्धि वही मनुष्य है जिसका मन आनन्द से परिपूर्ण है। ।।65।।

प्रश्न- स्थिर बुद्धि होने का क्या फल है?
उत्तर- परम पद की प्राप्ति अर्थात मुक्ति।

कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।51।।

अर्थ- मुनि लोग बुद्धि योग को प्राप्त कर कर्मों के फलों को यहाँ ही त्याग देते हैं और जन्म के बंधनों से मुक्त होकर उस पद को प्राप्त करते हैं जिसमें कोई व्याधि नहीं, अर्थात अमृतमय मोक्ष को प्राप्त करते हैं। ।।51।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इन्द्रियों के विषय में आचरण करने से तात्पर्य यह है कि इन्द्रियों से वह काम लेता है जिस काम को करने के लिए प्रकृति ने उनको बनाया है, जैसे आँख से देखना, कान से सुनना, नाक से सूँघना इत्यादि।

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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