योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 133

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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चौंतीसवां अध्याय
क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे?


क्या कृष्ण के समकालीन लोग उन्हें ईश्वर का अवतार समझते थे?


युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, द्रोण, दुर्योधन, जरासंध और अन्य समकालीन लोगों का कृष्ण से व्यवहार भी यही प्रकट करता है कि उनमें से कोई भी उन्हें परमेश्वर का अवतार नहीं समझता था। ये लोग कृष्ण महाराज को केवल मनुष्य समझकर ही उनसे वैसा बर्ताव करते रहे। यदि युधिष्ठिर कृष्ण को परमेश्वर का अवतार मानते होते तो उनको जरासंध के मुकाबले में भेजने से कदापि संकोच न करते। यद्यपि महाभारत का रचियता स्पष्ट लिखता है कि महाराज युधिष्ठिर ने कृष्ण की प्रार्थना को बड़े संकोच से स्वीकार किया और जरासंध और शिशुपाल आदि कृष्ण को यदि परमेश्वर का अवतार समझते तो वे उनसे कदापि शत्रुता नहीं करते। भीष्म और द्रोण भी कभी उनके सामने लड़ने को नहीं खड़े होते। आश्चर्य तो यह है कि गीता के उपदेश को सुनने के बाद भी अर्जुन पूरे दिल से भीष्म और द्रोण के विरुद्ध नहीं लड़ा। तब श्रीकृष्ण को विराट रूप धारण कर अर्जुन को उभारने की आवश्यकता पड़ी। यदि वर्तमान में उपलब्ध महाभारत को सही मान लिया जाये तो उसके अनुसार अर्जुन ने कृष्ण और भीष्म की इस सलाह को भी स्वीकार नहीं किया कि युधिष्ठिर द्रोण को हतोत्साहित करने के लिए यह प्रसिद्ध करें कि अश्वत्थामा मर गया। परन्तु अर्जुन ने इस प्रकार की धोखेबाजी पर बहुत घृणा प्रकट की थी। तात्पर्य यह कि उन घटनाओं से यही प्रमाणित होता है कि कृष्ण के समकालीन सखा लोग भी उनको परमेश्वर का अवतार नहीं समझते थे।

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योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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