योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 129

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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तैंतीसवाँ अध्याय
महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग


बलराम ने इस अपार दुख से दुखी होकर समुद्र के किनारे आकर प्राण त्याग किये और श्रीकृष्ण महाराज अपने सारथी दारुक को अर्जुन के पास भेजकर स्वयं वन की ओर चले गए और तप करने लगे। जब दारुक ने अर्जुन के समीप जाकर उससे सब समाचार कहे तो अर्जुन तुरन्त द्वारिका चले आये और कृष्ण के परपोते वज्रनाभ को यादव स्त्रियों सहित हस्तिनापुर लिवा ले गये। उसने कृष्ण के अधीन राज्य भी वज्रनाभ के नाम कर दिया।

श्रीकृष्ण की मृत्यु के विषय में किंवदन्ती है कि वे जब योग समाधि में बैठे थे तो एक शिकारी का तीर इनके पैर में आ लगा। जब शिकारी पास आया तो उसे मालूम हुआ कि उसने भूल से एक मनुष्य को अपने तीर से घायल कर दिया है। इस भूल पर बहुत पश्चात्ताप करने लगा, परन्तु कृष्ण महाराज ने उसको धैर्य दिया। यहाँ तक तो एक प्रकार से यह संभव घटना का वर्णन है, परन्तु आगे इसी कथा का अंत इस प्रकार होता है कि उस शिकारी बधिक के देखते-देखते कृष्ण महाराज[1] आकाश में चले गये जहाँ सब देवताओं ने मिलकर इनका भक्तिपूर्वक स्वागत किया और इनके आगमन से प्रसन्न होकर बड़ा आमोद-प्रमोद मनाया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ईसा मसीह के विषय में भी ऐसी ही दन्तकथा प्रसिद्ध है कि वह अपनी मौत से तीसरे दिन जिन्दा होकर फिर आसमान पर चढ़ गए। यदि बुद्धिमान ईसाई ईसा मसीह के विषय की उक्त घटना पर विश्वास कर सकते हैं तो उन्हें इस पौराणिक वर्णन की घटना पर विश्वास करने में क्यों संदेह होता है?

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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