योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 117

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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अट्ठाईसवाँ अध्याय
भीष्म की पराजय


नोट- भीष्म और अर्जुन के युद्ध के संबंध में एक और किंवदन्ती है जो साधारण दृष्टि से पीछे की मिलावट प्रतीत होती है। कथा इस प्रकार है कि जब नौ दिन तक लड़ाई होती रही और भीष्म को कुछ हानि नहीं पहुँची तो पाण्डव अधिक चिंतित हुए। तब कृष्ण ने युधिष्ठिर को यह सलाह दी कि भीष्म के पास चलो और उसी से पूछो कि तुमको किस तरह से मारा जाय। जब युधिष्ठिर ने भीष्म के समीप जाकर यह प्रश्न किया तो भीष्म ने उत्तर दिया कि तुम्हारी सेना में जो युवराज शिखंडी[1] है उसका स्वरूप स्त्रियों के सदृश है। यदि वह मेरे ऊपर आक्रमण करे तो वह निश्चय ही मुझे मारने में समर्थ होगा, परन्तु मैं उससे स्वयं युद्ध नहीं करूँगा।

भीष्म के पास से लौटने पर पाण्डवों ने यह निश्चय किया कि दूसरे दिन शिखंडी को ही युद्ध का सेनापति बनाकर धावा किया जाये। जब दूसरा दिन हुआ तो अर्जुन ने शिखंडी को ही अगुआ करके धावा कर दिया। भीष्म भी इस युद्ध मैं अर्जुन को कठोर आघात पहुँचाते रहे और दुर्योधन की सेना के अन्य शूरवीर लोग भी शिखंडी को लक्ष्य करके निशाने मारते रहे।

महाभारत की शोध करने वाले व्यक्ति तो इस बात को पीछे की मिलावट ही मानते हैं क्योंकि यह समस्त वृत्तान्त पाठक को पूरा विश्वास नहीं दिलाता। प्रथम तो भीष्म जैसे दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति के लिए यह कब संभव था कि वह शत्रु को अपनी मृत्यु का उपाय बतलाकर दुर्योधन से विश्वासघात करता। भीष्म तो दुर्योधन के पक्ष में युद्ध की प्रतिज्ञा कर चुका था क्योंकि वह राजा धृतराष्ट्र का सभासद था और विपक्ष में उनके वंश-विरोधी महाराज पांचाल थे। अन्तःकरण से तो वह युधिष्ठिर के ही पक्ष में था और जानता था कि दुर्योधन और धृतराष्ट्र अधर्म पर हैं, परन्तु अपनी मानसिक इच्छाओं द्वारा वह उन कर्त्तव्यों को समूल नष्ट नहीं कर सकता था जो कौरव राज्य के प्रतिष्ठित से प्रतिष्ठित सभासद होने के संबंध से उस पर थे। इधर युधिष्ठिर को भी उसने राजा मान लिया था। न तो वह अपने राजा के विरोध में शस्त्र प्रहार करने में समर्थ था और न युद्ध से विमुख ही हो सकता था। इसके अतिरिक्त यह प्रकट है कि शिखंडी के रण में सामने आने पर भी भीष्म उस समय तक लड़ता रहा जब तक अर्जुन ने अपने बाणों की बौछार से प्रथम ही उसके सारथी को मार नहीं डाला। फिर उसके धनुष को भी गिरा दिया। भीष्म जो तीर निकालते, अर्जुन उनको भी काट डालता था। सशक्त होने पर भीष्म अपनी तलवार और ढाल लेकर रथ से उतरने लगा, कदाचित इस विचार से कि अब वह तलवार की लड़ाई लड़ेगा, परन्तु अर्जुन ने बाणों की लगातार वर्षा कर उसकी ढाल और तलवार भी हाथ से गिरा दी। यहाँ तक कि वृद्ध भीष्म नवयुवक अर्जुन के तीरों से अशक्त हो भूमि पर गिर पड़ा। उसके गिरते ही महाभारत की लड़ाई का प्रथम दृश्य समाप्त हो गया। बाणों की शैय्या पर पड़े हुए भीष्म ने दुर्योधन को मेल करने का उपदेश किया, परन्तु दुर्योधन कब मानने लगा। उसको अपनी सेना पर इतना भरोसा था कि भीष्म की पराजय के पश्चात भी उसको अपनी अन्तिम जय की पूरी आशा थी।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजा पांचाल का पुत्र

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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