योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 10

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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अन्य ग्रन्थ


लालाजी ने आर्थिक, राजनैतिक तथा शिक्षा आदि विषयों पर अनेक उच्चकोटि के ग्रन्थ अंग्रेजी में लिखे थे। इनका यथोपलब्ध विवरण इस प्रकार है:

1. England’s Debt to India : B.W.Huebsch, New York से 1917 में प्रकाशित।

2. The Evolution of Japan : आर. चटर्जी, कार्नवालिस स्ट्रीट, कलकत्ता से 1919 में प्रकाशित।

3. Ideals of Non-cooperation and Other Essayd : जी. ए. नटेसन, मद्रास से 1924 में प्रकाशित।

4. India’s Will to Freedom : Writings and Speeches on the Present Situation : गणेशन एण्ड कम्पनी, मद्रास से 1920 में प्रकाशित।

5. The Problems of National Education in India : 1920 में प्रकाशित। भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा 1966 में पुनः प्रकाशित।

6. The Political Future of India : B.W. Huebsch, New York से 1919 में प्रकाशित।

7. Story of My Deportation. : पंजाबी प्रेस, लाहौर से 1908 में प्रकाशित।

8. Young India-An Interpretation and History of the National Movement. : B.W.Huebsch, New York से 1916 में प्रकाशित। भारत लोक-सेवक मण्डल (Servants of the People’s Society) लाहौर द्वारा 1927 में लाहौर से प्रकाशित भारतीय संस्करण।

9. Report of People’s Famine Relief Movement 1908 : लाहौर से 1909 में प्रकाशित।

10. The Story of My Life : The People, लाहौर का लाजपतराय विशेषांक[1]

यह लाला जी की आत्मकथा है जिसका हिन्दी अनुवाद पं. भीमसेन विद्यालंकार ने किया, जो 1932 में नवयुग ग्रन्थमाला, लाहौर से प्रकाशित हुआ।

लाला जी की जन्म-शताब्दी[2] के अवसर पर विजयचन्द्र जोशी ने ‘लाला लाजपतराय- ऑटोबायोग्राफिकल राइटिंग्स‘ शीर्षक से उनकी आत्मकथा का सम्पादन किया तथा दो खण्डों में लालाजी के लेखों तथा भाषणों का संग्रह भी प्रकाशित किया। लालाजी सफल पत्रकार भी थे। उन्होंने उर्दू में ‘पंजाबी’ तथा ‘वंदेमातरम’ नामक पत्र निकाले। 1918-20 में उन्होंने न्यूयार्क से ‘यंग इण्डिया’ नामक एक अंग्रेजी मासिक भी प्रकाशित किया था।

देश की आर्थिक और वित्तीय स्थित को सुदृढ़ बनाने के लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना 1894 में की। बाबू पुरुषोत्तमदास टण्डन इसके मुख्य सचिव रहे थे। लाला जी द्वारा स्थापित भारत लोक-सेवक मण्डल[3] ने देश के नवजागरण तथा सेवा का अभूतपूर्व कार्य किया है। प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता बाबू पुरुषोत्तमदास टण्डन, भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री तथा पं. अलगूराय शास्त्री जैसे देशभक्तों ने लाला जी से प्रेरणा लेकर ही राष्ट्र-सेवा का पाठ पढ़ा था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अप्रैल 13, 18 सन 1929
  2. 1965
  3. Servants of the People’s Society

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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