यथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्द
प्रथम अध्याय
अतः-
ऊँ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्यविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसम्वादे ‘संशयविषाद योगो’ नाम प्रथमोऽध्यायः।।1।।
इस प्रकार श्रीमद्भगवद्गीतारूपी उपनिषद् एवं ब्रह्मविद्या तथा योगशास्त्र विषयक श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद में ‘संशय-विषाद योग’ नामक प्रथम अध्याय पूर्ण होता है।
इति श्रीमत्परमहंसपरमानन्दस्य शिष्य स्वामीअड़गड़ानन्दकृते श्रीमद्भगवद्गीतायाः ‘यथार्थगीता’ भाष्ये ‘संशयविषाद योगो’ नाम प्रथमोऽध्यायः।।1।।
इस प्रकार श्रीमत् परमहंस परमानन्द जी के शिष्य स्वामी अड़गड़ानन्दकृत ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के भाष्य ‘यथार्थ गीता’ में ‘संशय-विषाद योग’ नामक पहला अध्याय पूर्ण होता है।
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