विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दसप्तम अध्यायज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः। मैं तेरे लिये इस विज्ञानसहित ज्ञान को सम्पूर्णता से कहूँगा। पूर्तिकाल में यज्ञ जिसकी सृष्टि करता है, उस अमृत-तत्त्व की प्राप्ति के साथ मिलनेवाली जानकारी का नाम ज्ञान है। परमतत्त्व परमात्मा की प्रत्यक्ष जानकारी का नाम ज्ञान है। महापुरुष को एक साथ सर्वत्र कार्य करने की जो क्षमता मिलती है, वह विज्ञान है। कैसे वह प्रभु एक साथ सबके हृदय में कार्य करता है? किस प्रकार वह उठाता, बैठाता और प्रकृति के द्वन्द्व से निकालकर स्वरूप तक की दूरी तय करा लेता है? उसकी इस कार्य-प्रणाली का नाम विज्ञान है। इस विज्ञानसहित ज्ञान को सम्पूर्णता से कहूँगा, जिसे जानकर (सुनकर नहीं) संसार में और कुछ भी जानने योग्य नहीं रह जायेगा। जाननेवालों की संख्या बहुत कम है-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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