विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दषष्ठम अध्यायपूर्वाभ्यासेन तेनैव हिृयते ह्यवशोऽपि सः। श्रीमानों के घर विषयों के वश में रहने पर भी वह पूर्वजन्म के अभ्यास से भगवत्पथ की ओर आकर्षित हो जाता है और योग में शिथिल प्रयत्न वाला वह जिज्ञासु भी वाणी के विषय को पार करके निर्वाण पद को पा जाता है। उसकी प्राप्ति का यही तरीका है। कोई एक जन्म में पाता भी नहीं।
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ सं. |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज