विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दषष्ठम अध्यायअर्जुन उवाच हे श्रीकृष्ण! योग करते-करते यदि किसी का मन चलायमान हो जाय, यद्यपि अभी योग में उसकी श्रद्धा है ही, तो ऐसा पुरुष भगवत्सिद्धि को प्राप्त न होकर किस गति को पाता है?
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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