विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दद्वितीय अध्याय
तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः। इससे हे महाबाहो! जिस पुरुष की इन्द्रियाँ इन्द्रियाँ के विषयों से सर्वथा वश में की हुई होती है, उसकी बुद्धि स्थिर होती है। ‘बाहु’ कार्यक्षेत्र का प्रतीक है। भगवान ‘महाबाहु’ एवं ‘आजानुबाहु’ कहे जाते हैं। वे बिना हाथ-पैर के सर्वत्र कार्य करते हैं। उनमें जो प्रवेश पाता है या जो उसी भगवत्ता की ओर अग्रसर है वह भी महाबाहु है। श्रीकृष्ण और अर्जुन दोनों को महाबाहु कहा गया है। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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