म्हाँरे नैणाँ आगे रहीजी जी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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म्हाँरे नैणाँ आगे रहीजी जी, स्याम गोबिंद ।।टेक।।
दास कबीर घर बालद जो लाया, नामदेव की छान छवंद ।
दास धना को खेत निपजायो, गज की टेर सुनंद ।
भीलणी का बेर सुदामा का तन्दु,ल, भर मुठड़ी बुकंद ।
करमाबाई को खीच अरोग्यो , होइ परसण पावंद ।
सहस गोप बिच स्याम विराजे, ज्योंप तारा बिच चंद ।
सब संतों का काज सुधारा, मीराँ सूँ दूर रहंद ।।137।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बालद = बलद, बैल। कबीर = भक्त कबीर। नामदेव = भक्त नामदेव। छान छवंद = छप्पर छा दिया। दास धना = धन्नाभगत। विपजायो = बोदिया। सुनंद = सुनली। गज = भक्त गजेन्द्र। भीलणी = भक्त शवरी(देखो - पद 181) सुदामा = भक्त सुदामा(देखो - पद 188) तुंदुल = तंदुल, चावल। मुट्ठी = मुट्ठी। बुकंद = चखाया। करमा बाई = भक्त करमाबाई। खींच = खीचड़ी। अरोग्यो = ग्रहण कर ली (देखो - पद 40)। परसण = प्रसन्न। पावंद = पाया, खाया। सहस = हज़ारों। रहंद = रहता है।

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