मोहन मन मोहि लियौ -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग काफी




मोहन मन मोहि लियौ ललित बेनु बजाई री।
मुरलीधुनि स्नवन सुनत बिबस भई माई री।।
लोकलाज कुल की मरजादा बिसराई री।
घर घर उपहास सुनत नैकु ना लजाई री।।
जप तप वेदऽरु पुरातन कछू ना सुहाई री।
'सूरदास' प्रभु की लीला निगम नेति गाई री।। 11 ।।

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