मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 111

मेरे तो गिरधर गोपाल -स्वामी रामसुखदास

प्रार्थना

Prev.png

हे नाथ! जो कुछ भी हमें मिलता है, आपकी कृपा से ही मिलता है। परन्तु उसको हम अपना मान लेते हैं कि यह तो हमारी ही है। यह आपकी खास उदारता और हमारी खास भूल है। महाराज! आपकी देने की रीति बड़ी विलक्षण है! सब कुछ देकर भी आपको याद नहीं रहता कि मैंने कितना दिया है? आपके अन्तःकरण में हमारे अवगुणों की छाप ही नहीं पड़ती। आपका अन्तःकरण रूपी कैमरा कैसा है, इसको आप ही जानते हो! उसमें अवगुण तो छपते ही नहीं, गुण-ही-गुण छपते हैं। ऐसा आपका स्वभाव है! सिवाय आप में अपनेपन के और हमारे पास क्या है महाराज! आप हमें अपना जानते हैं, मानते हैं, स्वीकार करते हैं तभी काम चलता है नाथ! नहीं तो बड़ी मुश्किल हो जाती! हम जी भी नहीं सकते थे! केवल आपकी कृपा का ही आसरा है, तभी जीते हैं-


आप कृपा को आसरो, आप कृपा को जोर।
आप बिना दीखे नहीं, तीन लोक में और।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः