मेरी शक्ति थक गयी सारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग तोड़ी - तीन ताल


मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बल ने मानी हार।
हु‌आ चूर पुरुषार्थ-गर्व सब, निकली बरबस करुण पुकार॥
शक्तिमान हे! शक्ति-स्रोत हे! करुणामय! हे परम उदार।
शक्तिदान दे कर लो मुझको यन्त्र-रूप में अंगीकार ॥
हरो सभी तम तुरत, सूर्य-सम करो दिव्य आभा विस्तार।
जो चाहो सो करो, नित्य निश्शङ्क निजेच्छा के अनुसार॥
कहीं डुबा रक्खो कैसे ही, अथवा ले जा‌ओ उस पार।
अथवा मध्य-हिंडोले पर ही, रहो झुलाते बारंबार॥
भोग्य बना भोक्ता बन जा‌ओ, भर्ता बनो भले सरकार।
बचे न ’ननु नच’ कहने वाला, मिटें अहं के क्षुद्र विकार॥
कौन प्रार्थना करे, किस तरह, किसकी, फिर, हे सर्वाधार!।
सर्व बने तुम अपने में ही करो सदा स्वच्छन्द विहार॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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