मेरी ममता सारी केवल तुम में -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

अभिलाषा

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


मेरी ममता सारी केवल तुम में प्रिय! हो जाय अनन्य।
राग-रंग का को‌ई प्राणि-पदार्थ-परिस्थिति रहे न अन्य॥
धन-जन, जीवन-प्राण तुहीं सब, भुक्ति-मुक्ति सब तुम हो एक।
सब तज भजूँ तुम्हें ही केवल, यही बने जीवन की टेक॥
मिटें सभी संकल्प, कटे सारा तुरंत माया का जाल।
रहे छलकता सदा हृदय में प्रेम तुम्हारा मधुर रसाल॥
सहज समर्पण हो जीवन प्रियतम पद-पंकज में, सब त्याग।
लहरायें अति ललित तरंगें सुधा-समुद्र शुद्ध अनुराग॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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