मेघदूत महाकवि कालिदास की अप्रतिम रचना है। अकेली यह रचना ही उन्हें 'कविकुल गुरु' उपाधि से मण्डित करने में समर्थ है।
- भाषा, भावप्रवणता, रस, छन्द और चरित्र-चित्रण समस्त द्दष्टियों से 'मेघदूत' अनुपम खण्डकाव्य है।
- सहृदय रसिकों ने मुक्त कण्ठ से कालिदास की रचना 'मेघदूत' की सराहना की है। समीक्षकों ने इसे न केवल संस्कृत जगत में अपितु विश्व साहित्य में श्रेष्ठ काव्य के रूप में अंकित किया है।
- 'मेघदूत' में कथानक का अभाव-सा है। वस्तुत: यह प्रणयकार हृदय की अभिव्यक्ति है।
- कालिदास की इस महान कृति के दो भाग हैं-
- पूर्वमेघ
- उत्तरमेघ
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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