मुरली यातै हरिहिं पियारी -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मुरली यातै हरिहिं पियारी।
अधर धरत सरजीव होति है मृतक होति कियै न्यारी।।
जैसी प्रीति मीन जल पकज तरनि बिना मुरझाई।
अरु ज्यौ जगै अगिनि चकमक की पाथर सहै झरारी।
तौ लौ ‘सूर’ कहाँ पिय पैयत गोकुल चंद बिहारी।। 5 ।।

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