मुरली मोहन अधरनि वासा -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मुरली मोहन अधरनि वासा।
सिव समाधि छूटी धुनि सुनि कै सरिता कियौ निवासा।।
मीन कुरंग सेष ससि मोहे सब थकि रहे निवासा।
कमल नैन कहि कहि अति जोधा जपत रहे ‘सूरदास’।। 10 ।।

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