मुरली बहुतै ढीठ भई -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मुरली बहुतै ढीठ भई।
ऐसी निठुर भई देखतहिं उपजी व्याधि नई।।
यह रस भरी बदति नहिं काहूँ अति उर रोष तई।
'सूरदास' ऐसी कुनारि किन्हि बचननि मोल लई।। 3 ।।

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