मुरली बजावत स्याम -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग बिहाग़रौ
रासनृत्य तथा जल क्रीड़ा




मुरली बजावत स्याम। लखि लजत कोटिक काम।।
हरि मोहिनी-बपु-धरयौ। तब काम को मद टरयौ।।
श्रीमदनमोहन लाल। नव नागरी सँग बाल।।
नव कुंज जमुनाकूल। रहे ‘सूर’ देखि सु भूलि।। 53 ।।

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