मुरली अपने सुख कौं धाई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कैदारो


मुरली अपने सुख कौं धाई।
सुंदर स्याम प्रवीन कहावत, कहाँ गई चतुराई।।
यह देखैं मन समुझि आपनैं, दाहि कुलहिं जो आई।
तातैं सिद्धि कहा पुनि ह्वैहै, जाके ये गुन माई।।
जो अपने स्वारथ कौं धावै, तातै कौन भलाई।
सूर स्याम के अधर सुधा कौ, ब्याकुल आई धाई।।1263।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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