मीरां माई म्‍हांने सुपने में -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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स्‍वजनों से मतभेद


मीराँ—माई म्‍हाँने सुपने में, परण गया जगदीस ।
सोती को सुपना आबियाजी, सुपना विस्‍वा बीस ।
मा—गैली दीखे मीराँ बावली, सुपना आल जँजाल ।
मीराँ—माई म्‍हाँने सुपने में परण गया गोपाल ।
अंग अंग हल्‍दी मैं करी जी, सुधे भीज्‍यो गात ।
माई म्हाँने सुपने में, परण गया दीनानाथ ।
छप्‍पन कोट जहाँ जान पधारे. दुलहा श्री भगवान ।
सुपने में तोरन बाँधियो जी, सुपने में आई जान ।
मीराँ को गिरधर मिल्‍या जी, पूर्ब जनम के भाग ।
सुपने में म्‍हाँने परण गयाजी, होगया अचल सुहाग ।।27।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. म्हाँने = हमको, मुझे। परण गया = वधू के रूप में ग्रहण कर लिया, ब्याह लिया। आविया जी = दीख पड़ा। विस्वा वीस = संदेह रहित, स्पष्ट। गैली = गई गुज़री, मूर्ख। आल जन्जाल = व्यर्थ का बखेड़ा, झंझट। ( देखो - ‘झूठा आल जन्जाल तजि, पकड़ा स्तम्भ कबीर )। सुधे = सुधा का अमृत से। कोट = करोड़। जान = जन बाराती। जान = बारात।

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