मीराँबाई की पदावली
अपना मार्ग स्वजनों से मतभेद
मीराँ—माई म्हाँने सुपने में, परण गया जगदीस । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ म्हाँने = हमको, मुझे। परण गया = वधू के रूप में ग्रहण कर लिया, ब्याह लिया। आविया जी = दीख पड़ा। विस्वा वीस = संदेह रहित, स्पष्ट। गैली = गई गुज़री, मूर्ख। आल जन्जाल = व्यर्थ का बखेड़ा, झंझट। ( देखो - ‘झूठा आल जन्जाल तजि, पकड़ा स्तम्भ कबीर )। सुधे = सुधा का अमृत से। कोट = करोड़। जान = जन बाराती। जान = बारात।
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