मीरां मगन भई हरि के गुण गाय -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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परीक्षा


राग खम्‍भाच


मीराँ मगर भई हरि के गुण गाय ।। टेक ।।
साँप पिटारा राणा भेज्‍यो, मीरा हाथ दियो जाय ।
न्‍हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय ।
जहर का प्‍याला राणा भेज्‍या, अमृत दीन्‍ह बनाय ।
न्‍हाय धोय जब पीवण लागी, हो अमर अँचाय ।
सूल सेज राणा ने भेजी, दीज्‍यो मीरा सुलाय ।
साँझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल बिछाय ।
मीराँ के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय ।
भजन भाव में मस्‍त डोलती, गिरधर पै बलि जाय ।।45।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हो = हो गई। अँचाय = पीकर। सूल सेज = सूली की सेज।

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