मीराँबाई की पदावली पृ. 10

मीराँबाई की पदावली

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मीराँबाई की रचनायें

7. फुटकर पद- मीराँबाई की रचनाओं में सब से अधिक निश्चित पता पदों का ही चलता है। इनकी संख्या अभी तक लगभग दो सौ की समझी जाती थी और श्री झावेरी जी ने गुजराती भाषा की कुछ रचनाओं को भी लेकर इनका ढाई सौ तक होना बतलाया था। परन्तु श्री पुरोहित हरिनारायणजी का कहना है कि‘‘ मीराँजी के पद मेरे पास 500 के क़रीब इक्ट्ठे हो गये हैं। ये हस्त लिखित, मुद्रित और मौखिक रूपों में प्राप्त हुए है जिनका इतिहास वृहत् है।’’ वे यह भी बतलाते हैं कि ‘पद बहुत से प्रामाणिक ही प्रतीत होते हैं। शेष संदिग्ध और मिलावट के वा अशुद्ध दिखाई देते हैं।’’[1] उपलब्ध पदों में कुछ की भाषा गुजराती है और अनेक पद ऐसे हैं जो केवल भाषा की भिन्नता के ही कारण, भिन्न जान पड़ते हैं। वास्तव में मीराँबाई के अनेक पदों की भी, कबीर साहब आदि के पदों की भाँति ही, बहुत कुछ दुर्दशा हो गई है। जिस-जिस ने गाया है उसने उन्हें अपने रंग में रंगने की चेष्टा की है और, अपने-अपने विचारानुसार, मीराँ के ढर्रे पर कितने ही ऐसे स्वरचित पद प्रचलित कर दिये हैं जो, बिना ध्यान पूर्वक देखभाल किये, मीराँ-रचित ही जान पड़ते हैं। इसमें सन्देह नहीं कि इन फुटकर पदों के अन्तर्गत मीराँबाई निर्मित समझी जाने वाली उक्त सं० ( 3, 4, 5 व 6) की रचनायें भी पूर्णतः वा अंशतः अवश्य सम्मिलित हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुरोहित जी के यहाँ से प्राप्त एक पत्र से उद्धत।

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