मीठी बात हमारे आगै, बार-बार अलि कहा सुनावहु।
हमहिं खिझाइ आपु पति खोवत, यामैं कहौ कहा तुम पावहु।।
कहौ न जाइ नगर नारिनि सौ वै सुनिहै उनकौ समुझावहु।
ब्रजवासिनी अहीरि बिरहिनी, तिन आगै तुम काहे गावहु।।
लोचन गए स्याम सँग ही सँग, बड़े चतुर तौ उनहिं बुलावहु।
‘सूर’ चकोर चंद्र दरसन तजि, कैसे जियै तरनि दरसावहु।।3871।।