माधव! मो सम कौन अभागी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग रासावरी - तीन ताल


माधव! मो सम कौन अभागी॥
करौं न पलक याद मैं तुम्हरी, नाहिं भगति उर जागी।
हाय-हाय करतहि दिन बीतत, जरौं नित्य चिंतागी॥
भय-बिषाद सौं भर्‌यौ रहौं, नित भटकत इत-‌उत भागी।
मिलत न कतहुँ सांति-सुखमय थल, भोग-जगत जेहि लागी॥
नाथ! करहु अब सहज कृपा तुम, जागै तव बिरहागी।
बनौं तुम्हारे पद-कमलनि कौ लघु सेवक बड़भागी॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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