माथें बने मोरन के चँदवा अरु -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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माथें बने मोरन के चँदवा अरु घुँघुचिनि के हार हिये।
पीतांबर कौ फेंट बाँधि बन-धातु रंग अँग चित्र किये।।
सावन समय संध्या घन घन बन आए इंद्र जु धनुष लिये।
‘सूर’ उडुपगन दामिनि मानौ बरषत प्रेम-पयोधि पिये।। 111 ।।

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