माई मुरली बजाई किन री -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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माई मुरली बजाई किन री।
नंद महर कौ कुँअर कन्हैया रैनि न जानै दिन री।
मोहे खग मृग अरु पसुपालक मोहे बन उपवन री।
चलत न नीर थकित भई जमुना गऊ न चारै तृन री।।
मुरली बजाई सब मन लाई स्रवन सुन्यौ जिन जिन री।
‘सूरजदास’ सकल जन मोहै मुरली की धुनि सुनि री।। 14 ।।

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