महाभारत सभा पर्व अध्याय 7 श्लोक 24-30

सप्तम (7) अध्‍याय: सभा पर्व (लोकपालसभाख्यान पर्व)

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महाभारत: सभा पर्व: सप्तम अध्याय: श्लोक 24-30 का हिन्दी अनुवाद


  • राजन! इसी प्रकार मनोहर अप्सराएँ तथा सुन्दर गन्धर्व नृत्य, वाद्य, गीत एवं नाना प्रकार के हास्यों द्वारा देवराज इन्द्र का मनोरंजन करते हैं। (24)
  • इतना ही नहीं, वे स्तुति, मंगल पाठ और पराक्रम सूचक कर्मों के गायन द्वारा बल और वृत्रनामक असुरों के नाशक महात्मा इन्द्र का स्तवन करते हैं। (25)
  • ब्रह्मर्षि, राजर्षि तथा सम्पूर्ण देवर्षि माला पहने एवं वस्त्राभूषणों से विभूषित हो, नाना प्रकार के दिव्य विमानों द्वारा अग्नि के समान देदीप्यमान होते हुए वहाँ आते-जाते रहते हैं। (26-27)
  • बृहस्पति और शुक्र वहाँ नित्य विराजते हैं। ये तथा और भी बहुत से संयमी महात्मा जिनका दर्शन चन्द्रमा के समान प्रिय है, चन्द्रमा की भाँति चमकीले विमानों द्वारा वहाँ उपस्थित होते हैं। राजन! भृगु और सप्तर्षि, जो साक्षात ब्रह्माजी के समान प्रभावशाली हैं, ये भी इन्द्र-सभा की शोभा बढ़ाते हैं। (28-29)
  • महाबाहु नरेश! शतक्रतु इन्द्र की कमल-मालाओं से सुशोभित सभा मैंने अपनी आँखों देखी है। अब यमराज की सभा का वर्णन सुनो। (30)
इस प्रकार श्रीमहाभारत सभा पर्व के अन्तर्गत लोकपाल सभाख्यान पर्व में इन्द्र-सभा-वर्णन नामक सातवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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