पंचम (5) अध्याय: सभा पर्व (लोकपालसभाख्यान पर्व)
महाभारत: सभा पर्व: पंचम अध्याय: श्लोक 13-22 का हिन्दी अनुवाद
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दक्षस्मृति में त्रिवर्ग सेवन का काल-विभाग इस प्रकार बताया गया है- पूर्वाह्वे त्वाचरेद् धर्म मध्याह्नेऽर्थमुपार्जयेत्। सायाह्ने चाचरेत् काममित्येषा वैदिकी श्रुतिः।। पूर्वाह्नकाल में धर्म का आचरण करे, मध्याह्न के समय धनोपार्जन का काम देखे और सायाह्न (रात्रि) के समय काम का सेवन करे। यह वैदिक श्रुति का आदेश है। (नीलकण्ठी से उद्धृत)
- ↑ राजाओं में छः गुण होने चाहिये - व्याख्यान शक्ति, प्रगल्भता, तर्ककुशलता, भूतकाल की स्मृति, भविष्य पर दृष्टि तथा नीति निपुणता।
- ↑ सात उपाय ये हैं- मन्त्र, औषध, इन्द्रजाल, साम, दान, दण्ड और भेद।
- ↑ परीक्षा के योग्य चौदह स्थान या व्यक्ति नीतिशास्त्र में इस प्रकार बताये गये हैं-
देशो दुर्ग रथो हस्तिवाजियोधाधिकारिणः।
अन्तःपुरान्नगणनाशास्त्रलेख्यधनासवः। । - ↑ राजा के कोष और धन की वृद्धि के लिये आठ कर्म ये हैं-
कृषिर्वणिक्पथो दुर्ग सेतुः कुंजरबन्धनम्।
खन्याकरकरादानं शून्यानां च निवेशनम्।।
अष्ट संधानकर्माणि प्रयुक्तानि मनीषिभिः।।
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज