महाभारत सभा पर्व अध्याय 30 श्लोक 24-30

त्रिंश (30) अध्‍याय: सभा पर्व (दिग्विजय पर्व)

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महाभारत: सभा पर्व: त्रिंश अध्याय: श्लोक 24-30 का हिन्दी अनुवाद


तदनन्तर भरतश्रेष्ठ भीमसेन ने समुद्रसेन, भूपाल चन्द्रसेन, राजा ताम्रलिप्त, कर्वटाधिपति तथा सुह्म नरेश को जीतकर समुद्र के तट पर निवास करने वाले समस्त म्लेच्छों को भी अपने अधीन कर लिया।

इस प्रकार पवनपुत्र बलावान् भीम ने बहुत से देशों पर अधिकार प्राप्त करके उन सबसे धन लेकर लौहित्य देश की यात्रा की। वहाँ उन्होंने समुद्र के टापुओं में रहने वाले बहुत से म्लेच्छ राजाओं को जीतकर उनसे कर के रूप में भाँति-भाँति के रत्न वसूल किये। इतना ही नहीं, उन राजाओं ने भीमसेन को चन्दन, अगर, वस्त्र, मणि, मोती, कम्बल, सोना, चाँदी और बहुमूल्य मूँगे भेंट किये।

कुन्ती और पाण्डु के पुत्र महात्मा भीमसेन के पास उन्होंने करोड़ों की संख्या में धन रत्नों की वर्षा की (कर के रूप में धन रत्न प्रदान किये)। तदनन्तर भयानक पराक्रमी भीम ने इन्द्रप्रस्थ में आकर वह सारा धन धर्मराज को सौंप दिया।


इस प्रकार श्रीमहाभारत सभा पर्व के अन्तर्गत दिग्विजयपर्व में भीम के द्वारा पूर्व दिशा की विजय से सम्बन्ध रखने वाला तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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