प्रथम (1) अध्याय: सभा पर्व (सभाक्रिया पर्व)
महाभारत: सभा पर्व: प्रथम अध्याय: श्लोक 15-21 का हिन्दी अनुवाद
उसने कुन्तीपुत्रों तथा महात्मा श्रीकृष्ण की रुचि के अनुसार सभा बनाने का निश्चय किया। किसी पवित्र तिथि को[1] मंगलानुष्ठान, स्वस्तिवाचन आदि करके महातेजस्वी और पराक्रमी मय ने हजारों श्रेष्ठ ब्राह्मणों को खीर खिलाकर तृप्त किया तथा उन्हें अनेक प्रकार का धन दान किया। इसके बाद उसने सभा बनाने के लिये समस्त ऋतुओं के गुणों से सम्पन्न दिव्य रूप वाली मनोरम सब ओर से दस हजार हाथ की[2] धरती नपवायी। (19-21) इस प्रकार श्रीमहाभारत सभा पर्व के अन्तर्गत सभाक्रिया पर्व में सभा स्थान निर्णयविषयक पहला अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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