महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 279 श्लोक 31-34

एकोनाशीत्‍यधिकद्विशततम (279) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)

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महाभारत: शान्ति पर्व: एकोनाशीत्‍यधिकद्विशततम अध्याय श्लोक 31-34 का हिन्दी अनुवाद

अणिमा आदि ऐश्‍वर्य और महद् ब्रह्म किस वर्ण में प्रतिष्ठित हैं? तथा वह उत्तम ऐश्‍वर्य कैसे नष्ट हो जाता है? प्राणी किस हेतु से जीवन धारण करते हैं? तथा किस कारण से कर्मो में प्रवृत्त होते हैं? जीव किस परम फल को पाकर अविनाशी एंव सनातन रूप से प्रतिष्ठित होता है? विप्रवर! किस कर्म अथवा ज्ञान से उस फल को प्राप्त किया जा सकता है? यह मुझे बताने की कृपा करें। राजसिंह! पुरुषप्रवर युधिष्ठिर! उसके ऐसा प्रश्‍न करने पर मुनिवर शुक्राचार्य ने उस समय उसे जो उत्तर दिया उसे मैं बता रहा हूँ, तुम अपने भाइयों के साथ एकाग्रचित्त होकर सुनो।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत मोक्षधर्मपर्व में वृत्र-गीताविषयक दो सौ उन्यासीवाँ अध्याय पूरा हुआ ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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