द्वात्रिंशदधिकद्विशततम (232) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: द्वात्रिंशदधिद्विशततम श्लोक 40-43 का हिन्दी अनुवाद
बेटा! यह बात मैं तुमसे पहले ही बता चुका हूँ। काल ही सम्पूर्ण प्राणियों को संयम और नियम में रखने वाला है। वही उनकी उत्पत्ति के लिये स्थान धारण करता है सारे प्राणी स्वभाव से ही द्वन्द्वों से युक्त होकर अत्यन्त कष्ट पाते हैं। बेटा! तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था, उसके अनुसार मैंने सृष्टि, काल, क्रिया, वेद, कर्ता, कार्य तथा क्रियाफल आदि सब विषय बता दिये। इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत मोक्षधर्मपर्व में शुकदेवजी का अनुप्रश्न विषयक दो सौ बत्तीसवॉ अध्याय पूरा हुआ । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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