चतुर्विंशत्यधिकद्विशततम (224) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: चतुर्विंशत्यधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 49-60 का हिन्दी अनुवाद
जो लोग तत्त्वदर्शी हैं, वे निश्चितरूप से ऐसा मानते हैं कि वह कालरूप परब्रह्म परमात्मा स्वयं निराकार होते हुए भी समस्त प्राणियों के भीतर जीव का प्रवेश कराता है। भगवान काल ही समस्त प्राणियों की अवस्था में उलट-फेर कर देते हैं। कोई भी व्यक्ति उनके इस माहात्म्य को समझ नहीं पाता। काल की ही महिमा में पराजित होकर मनुष्य कुछ भी कर नहीं पाता। देवराज! समस्त प्राणियों की गति जो काल है, उसको प्राप्त हुए बिना तुम कहाँ जाओगे? मनुष्य भागकर भी उसे छोड़ नहीं सकता उससे दूर नहीं जा सकता और न खड़ा होकर ही उसके चंगुल से छूट सकता है। श्रवण आदि समस्त इन्द्रियाँ मास-पक्ष आदि पाँच भेदों से युक्त उस काल का अनुभव नहीं कर पातीं। कुछ लोग इन काल देवता को अग्नि कहते हैं और कुछ प्रजापति। दूसरे लोग उस काल को ऋतु, मास, पक्ष, दिन, क्षण, पूर्वाह्न, अपराह्न और मध्याह्न कहते हैं। उसी को विद्वान पुरुष मुहूर्त भी कहते हैं। वह एक होकर भी अनेक प्रकार का बताया जाता है। इन्द्र! तुम उस काल को इस प्रकार जानो। यह सारा जगत उसी के अधीन है। शचीपति इन्द्र! जैसे तुम हो, वैसे ही बल और पराक्रम से सम्पन्न अनेक सहस्र इन्द्र समाप्त हो चुके हैं। शक्र! तुम अपने का अत्यन्त शक्तिशाली और उत्कट बल से युक्त देवराज समझते हो; परंतु समय आने पर महापराक्रमी काल तुम्हें भी शान्त कर देगा। इन्द्र! वह काल ही सम्पूर्ण जगत को अपने वश में कर लेता है; अत: तुम भी स्थिर रहो। मैं, तुम तथा हमारे पूर्वज भी काल की आज्ञा का उल्लघंन नहीं कर सकते। तुम जिस इस परम उत्तम राजलक्ष्मी को पाकर यह जानते हो कि यह मेरे पास स्थिरभाव से रहेगी, तुम्हारी यह धारणा मिथ्या है; क्योंकि यह कहीं एक जगह बँधकर नहीं रहती है। इन्द्र! यह लक्ष्मी तुमसे भी श्रेष्ठ सहस्रों पुरुषों के पास रह चुकी है। देवेश्वर! इस समय यह चंचला मुझे भी छोड़कर तुम्हारे पास गयी है। शक्र! अब फिर तुम ऐसा बर्ताव न करना। अब तुमको शान्ति धारण कर लेनी चाहिये। तुम्हें भी मेरी जैसी स्थिति में जानकर यह लक्ष्मी शीघ्र किसी दूसरे के पास चली जायगी। इस प्रकार श्रीमहाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत मोक्षधर्मपर्व में बलि और इन्द्र का संवाद विषयक दो सौ चौबीसवॉ अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज