महाभारत शल्य पर्व अध्याय 61 श्लोक 64-71

एकषष्टितम (61) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)

Prev.png

महाभारत: शल्य पर्व: एकषष्टितम अध्याय: श्लोक 64-71 का हिन्दी अनुवाद

यदि कदाचित्‌ युद्ध में मैं इस प्रकार कपटपूर्ण कार्य नहीं करता तो फिर तुम्हें विजय कैसे प्राप्त होती, राज्य कैसे हाथ में आता और धन कैसे मिल सकता था? भीष्म, द्रोण, कर्ण और भूरिश्रवा- ये चारों महामना इस भूतल पर अतिरथी के रूप में विख्यात थे। साक्षात्‌ लोकपाल में भी धर्मयुद्ध करके उन सबको नहीं मार सकते थे। यह गदाधारी धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन भी युद्ध से थकता नहीं था, इसे दण्डधारी काल भी धर्मानुकूल युद्ध के द्वारा नहीं मार सकता था। इस प्रकार जो यह शत्रु मारा गया है इसके लिये तुम्हें अपने मन में विचार नहीं करना चाहिये? बहुतेरे अधिक शक्तिशाली शत्रु नाना प्रकार के उपायों और कूटनीति के प्रयोगों द्वारा मारने के योग्य होते हैं। असुरों का विनाश करने वाले पूर्ववर्ती देवताओं ने इस मार्ग का आश्रय लिया है। श्रेष्ठ पुरुष जिस मार्ग से चले हैं, उसका सभी लोग अनुसरण करते हैं। अब हम लोगों का कार्य पूरा हो गया, अतः सायंकाल के समय विश्राम करने की इच्छा हो रही है। राजाओं! हम सब लोग घोड़े, हाथी एवं रथसहित विश्राम करें।

भगवान श्रीकृष्ण का यह वचन सुनकर उस समय पाण्डवों सहित समस्त पांचाल अत्यन्त प्रसन्न हुऐ और सिंहसमुदाय के समान दहाड़ने लगे। पुरुषप्रवर! तदनन्तर भगवान श्रीकृष्ण तथा अन्य लोग दुर्योधन को मारा गया देख हर्ष में भरकर अपने-अपने शंख बजाने लगे। श्रीकृष्ण ने पांचजन्य शंख बजाया। प्रसन्नचित अर्जुन ने देवदत्त नामक श्रेष्ठ शंख की ध्वनि की। कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्त विजय तथा भयंकर कर्म करने वाले भीमसेन ने पौण्ड्र नामक महान शंख बजाया। नकुल और सहदेव ने क्रमशः सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये। धृष्टद्युम्न ने जैत्र और सात्यकि ने नन्दिवर्धन नामक शंख की ध्वनि फैलायी। भरतश्रेष्ठ! उन महान शंखों के शब्द से सारा आकाश भर गया और धरती डोलने लगी। तत्पश्चात पाण्डव सेनाओं में शंख, भेरी, पणव, आनक और गोमुख आदि बाजे बजाये जाने लगे। उन सबकी मिली जुली आवाज बड़ी भयानक जान पड़ती थी। उस समय अन्य बहुत-से मनुष्य स्तुति एवं मंगलमय वचनों द्वारा पाण्डवों का स्तवन करने लगे।

इस प्रकार श्रीमहाभारत शल्य पर्वके अन्तर्गत गदापर्व में श्रीकृष्ण, पाण्डव और दुर्योधन का संवाद विषयक इकसठवां अध्याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः