अष्टपन्चाशत्तम (58) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: अष्टपन्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 57-62 का हिन्दी अनुवाद
राजन! आपके पुत्र के धराशायी हो जाने पर वहाँ अस्त्र-शस्त्र और ध्वजा वाले सभी वीर कांपने लगे। नृपश्रेष्ठ! तालाबों और कूपों में रक्त का उफान आने लगा और महान वेगशालिनी नदियां उल्टी अपने उद्गम की ओर बहने लगीं। राजन! आपके पुत्र दुर्योधन के धराशायी होने पर स्त्रियों में पुरुषत्व और पुरुषों में स्त्रीत्व के सूचक लक्षण प्रकट होने लगे। भरतश्रेष्ठ! उन अद्भुत उत्पातों को देखकर पाण्डवों सहित समस्त पाञ्चाल मन ही मन अत्यन्त उद्विग्न हो उठे। भारत! तदनन्तर देवता, गन्धर्व और अप्सराओं के समूह आपके दोनों पुत्रों के अद्भुत युद्ध की चर्चा करते हुए अपने अभीष्ट स्थान को चले गये। राजेन्द्र! उसी प्रकार सिद्ध, वातिक (वायुचारी) और चारण उन दोनों पुरुष सिंहों की प्रशंसा करते हुए जैसे आये थे, वैसे चले गये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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