चतुश्चत्वारिंश (44) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
महाभारत: शल्य पर्व: चतुश्चत्वारिंश अध्याय: श्लोक 41-53 का हिन्दी अनुवाद
महामति ब्रह्मा ने जगत के भिन्न-भिन्न पदार्थों के ऊपर देवता, गन्धर्व, राक्षस, यक्ष, भूत, नाग और पक्षियों का आधिपत्य पहले से ही निर्धारित कर रखा था। साथ ही वे कुमार को भी आधिपत्य करने में समर्थ मानते थे। भरतनन्दन! तदनन्तर देवगणों के मंगल सम्पादन में तत्पर हुए ब्रह्मा ने दो घड़ी तक चिन्तन करने के पश्चात सब प्राणियों में श्रेष्ठ कार्तिकेय को सम्पूर्ण देवताओं का सेनापति पद प्रदान किया। जो सम्पूर्ण देव समूहों के राजा रूप में विख्यात थे, उन सबको सर्वभूत पितामह ब्रह्मा ने कुमार के अधीन रहने का आदेश दिया। तब ब्रह्मा आदि देवता अभिषेक के लिये कुमार को लेकर एक साथ गिरिराज हिमालय पर वहाँ से निकली हुई सरिताओं में श्रेष्ठ पुण्यसलिला सरस्वती देवी के तट पर गये, जो समंतपंचक तीर्थ में प्रवाहित होकर तीनों लोकों में विख्यात है। वहाँ वे सभी देवता आौर गन्धर्व पूर्ण मनोरथ हो सरस्वती के सर्वगुण सम्पन्न पावन तट पर विराजमान हुए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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