महाभारत विराट पर्व अध्याय 69 श्लोक 12-19

एकोनसप्ततितम (69) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: एकोनसप्ततितम अध्याय: श्लोक 12-19 का हिन्दी अनुवाद


विराट ने पूछा- बेटा! वह महायशस्वी महाबाहु वीर देव पुत्र कहाँ है, जिसने युद्ध में कौरवों द्वारा काबू में की हुई मेरी गौओं को जीता है? जिस देवपुत्र ने तुम्हें और मेरी गौओं को भी बचाया है, मैं उस महापराक्रमी वीर को देखाना और उसका सत्कार करना चाहता हूँ।

उत्तर ने कहा- पिता जी! वह महाबली देवपुत्र वहीं अन्तर्धान हो गया; किंतु मेरा विश्वास है कि वह कल या परसों यहाँ फिर प्रकट होगा।

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! इस प्रकार संकेत पूर्वक बताने पर भी सेनाओं के स्वामी राजा विराट नपुंसक वेश में छिपकर वहीं रहने वाले पाण्डु नन्दन अर्जुन को पहचान न सके। तदनन्तर महामना विराट की आज्ञा से बृहन्नला रूपी अर्जुन ने स्वयं विराट कन्या उत्तरा को वे सब कपड़े, जो महारथियों के शरीर से उतारे थे, दे दिये। भामिनी उत्तरा उन भाँति-भाँति के नवीन एवं बहुमूल्य वस्त्रों को लेकर बहुत प्रसन्न हुई। जनमेजय! कुन्ती नन्दन अर्जुन ने महामना उत्तर के साथ राजा युधिष्ठिर को प्रकट करेने के विषय में सलाह की और क्या क्या करना चाहिये, इन सब बातों का निश्चय कर लिया। नरश्रेष्ठ! तदनन्तर उन्होंने उसी निश्चय के अनुसार सब कार्य ठीक - ठीक किया। भरतकुल शिरोमणि पाण्डव मत्स्य नरेश के पुत्र उत्तर के साथ वह सब व्यवस्था करके बड़े प्रसन्न हुए।

इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में विराट - उत्तर संवाद विषयक उनहत्तरवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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