महाभारत विराट पर्व अध्याय 61 श्लोक 38-46

एकषष्टितम (61) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: एकषष्टितम अध्याय: श्लोक 38-46 का हिन्दी अनुवाद


वीर दुःशासन ने भल्ल नामक एक बाण से विराट कुमार उत्तर को घायल करके दूसरे से अर्जुन की छाती छेद डाली। तब अर्जुन उसकी ओर मुड़े और मोटी धार और गीध की पाँख जैसे पंख वाले बाण से दुःशासन के सुवर्ण जटित धनुष को काट डाला। तत्पश्चात् उसकी छाती में भी पाँच बाण मारे। पार्थ के बाणों से अत्यनत पीड़ित हो दुःशासन युद्ध छोड़कर भाग गया। तब धृतराष्ट्र पुत्र विकर्ण ने शत्रुवीरों का नाश करने वाले अर्जुन को सीधे लक्ष्य की ओर जाने वाले गृध्रपत्र युक्त तीखे बाणों से बींध डाला।

तत्पश्चात् कुन्ती नन्दन अर्जुन ने झुकी हुई गाँठ वाले बाण से उसको भी ललाट में बींध डाला। उस बाण से घायल होकर विकर्ण तुरंत ही रथ से नीचे गिर पड़ा। तब दुःसह और विविंशति अर्जुन की ओर दौड़े और युद्ध में भाई का बदला लेने के लिये उनके ऊपर तीखे बाणों की वर्षा करने लगे। फिर धनंजय ने गृध्र की पाँख वाले दो तीखे बाणों द्वारा उन दोनों को एक ही साथ घायल करके बिना किसी घबराहट के उनके घोड़ों को भी मार गिराया। घोड़ों के मारे जाने और शरीर के बिंध जाने पर उन दोनों धृतराष्ट्र कुमारों के पास उनके सेवक आ पहुँचे और उन्हें दूसरे रथ पर डालकर अन्यत्र हटा ले गये। किसी से परास्त न होने वाले किरीट मालाधारी महाबली कुन्ती नन्दन अर्जुन का निशाना कभी चूकता नहीं था। ये उस सेना में सब ओर विचरने लगे।

इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में अर्जुन दुःशासन आदि के युद्ध से सम्बन्ध रखने वाला इकसठवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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