महाभारत विराट पर्व अध्याय 58 श्लोक 69-76

अष्टपंचाशत्तम (58) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: अष्टपंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 69-76 का हिन्दी अनुवाद


तत्पश्चात् एक ही साथ झुकी हुई गाँठ वाले एक लाख बाण द्रोणाचार्य के रथ के समीप आ गिरे। जनमेजय! गाण्डीव धन्वा अर्जुन के द्वारा जब द्रोण पर इस प्रकार बाणवर्षा होने लगी। तब कौरव सैनिकों में भारी हाहाकार मच गया। पाण्डु नन्दन के शीघ्रता पूर्वक असत्र संचालन के लिए इन्द्र ने उनकी बड़ी प्रशंसा की। उनके सिवा वहाँ जो गन्धर्व और अप्सराएँ आयी थीं, उनहोंने भी उनकी बडी सराहना की। तदनन्तर रथियों के यूथपति आचार्य पुत्र अश्वत्थामा ने रथारोहियों के विशान समूह के साथ सहसा वहाँ पहुँचकर पाण्डु नन्दन को चारों ओर से घेर लिया।

अश्वत्थामा ने महात्मा अर्जुन के उस पराक्रम की मन ही मन भूरि भमरि प्रशंसा की और उनपर अपना महान् क्रोध प्रकट किया। आचार्य पुत्र क्रोध के वशीभूत हो गया था। वह रण भूमि में जल बरसाने वाले मेघ की भाँति सहस्रों बाणों की बौछार करता हुआ पार्थ पर टूट पड़ा। तब महाबाहु अर्जुन ने जिधर अश्वत्थामा था, उसी ओर घोड़ों को घुमाकर आचार्य द्रोण को भाग जाने का अवसर दे दिया। अर्जुन के उत्तम बाणों से द्रोण के कवच और ध्वज छिन्न भिन्न हो चुके थे। वे स्वयं भी बहुत घायल हो गये थे, अतः मौका पाते ही वेगशाली घोड़ों को बढ़ाकर तुरंत वहाँ से भाग निकले।

इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में द्रोणाचार्य के पलायन से सम्बन्ध रखने वाला अट्ठावनवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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