महाभारत विराट पर्व अध्याय 50 श्लोक 12-21

पंचाशत्तम (50) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: पंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 12-21 का हिन्दी अनुवाद


दुष्ट कर्म करने वाले पापी! बताओ तो, कौन सा ऐसा युद्ध हुआ था, जिसमें तुमने द्रौपदी को जीत लिया हो ? तुम लोग तो अकारण ही एक वस्त्र धारण करने वाली बेचारी द्रौपदी को रजस्वलावसािा में राजसभा के भीतर घसीट लाये थे। सूत पुत्र! जैसे धन की इच्छा रखने वाले मनुष्य चन्दन की लकड़ी काटता है, उसी प्रकार तुमने और दुर्योधन ने कपटद्यूत और द्रौपदी के अपमान द्वारा इन पाण्डवों का मूलोच्छेद किया। जिस समय तुम लोगों ने पाण्डवों को कर्मकार ( दास ) बनाया था, उस दिन वहाँ महात्मा विदुर ने क्या कहा था; ( उन्होंने जूए को कुरुकुल के संहार का कारण बताया था, ) याद है न ?। हम देखते हैं, मनुष्य हों या अन्य जीव जनतु अथवा कीड़े मकोड़े आदि ही क्यों न हों, सबमें अपनी अपनी शक्ति के अनुसार सहनशीलता की एक सीमा होती है। द्रौपदी को जो कष्ट दिये गये हैं, उन्हें पाण्डु पुत्र अर्जुन कभी क्षमा नहीं कर सकते। धृतराष्ट्र के पुत्रों का संहार करने के लिये ही धनुजय प्रकट हुए हैं और एक तुम हो, जो यहाँ पण्डित बनकर बड़ी बड़ी बातें बनाना चाहते हो। क्या वैर का बदला चुकाने वाले अर्जुन हम लोगों का संहार नहीं कर डालेंगे?।

यह कभी सम्भव नहीं है कि कुन्ती नन्दन अर्जुन भय के कारण देवता, गन्धर्व, असुर तथा राक्षसों से भी युद्ध न करें। जैसे गरुड़ जिस जिस वृक्ष पर पैर रखते हैं, अपने वेग से उसे गिराकर चले जाते हैं, उसी प्रकार अर्जुन अत्यन्त क्रोध में भरकर संग्राम भूमि में जिस जिस महारथी पर आक्रमण करेंगे, उसे नष्ट करके ही आगे बढ़ेंगे। कर्ण! अर्जुन पराक्रम में तुमसे बहुत बढ़े - चढ़े हैं, धनुष चलाने में तो वे इन्द्रराज कं तुल्य हैं और युद्ध की कला में साक्षात् वसुदेव नन्दन कृष्ण के समान हैं; ऐसे कुन्ती पुत्र की कौन प्रशंसा नहीं करेगा ?। जो देवताओं के साथ देवोचित्त ढेग से और मनुष्यों के साथ्सा मानवोचित प्रणाली से युद्ध करते हैं और प्रत्येक अस्त्र को उसके विरोधी अस्त्र ,ारा नष्ट करते हैं, उन कुन्ती नन्दन धनुजय की समानता करने वाला कौन पुरुष है ?। धर्मज्ञ पुरुष ऐसा मानते हैं कि गुरु को पुत्र के बाद शिष्य ही प्रिय होता है, इस कारण से भी पाण्डु नन्दन अर्जुन आचार्य द्रोण को प्रिय हैं ( अतः वे उनकी प्रशंसा क्यों न करें ?)।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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