एकचत्वारिंश (42) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)
महाभारत: विराट पर्व: द्विचत्वारिंश अध्याय: श्लोक 12-18 का हिन्दी अनुवाद
जो अग्नि के समान वपंकाशमान एवं अबाग में तपाये शुद्ध सुवर्ण की बनी हुई म्यान में सुरक्षित, भारी, पानीदार तथा तीस अंगुल से बड़ा है, जो स्वर्णबिन्दुओं से विभूषित तथा काले रंग का है, जिसे शत्रु काट नहीं सकते, जिसका स्पर्श सर्प के समान है, जो शत्रु के शरीर को चीर डालने वाला, भारी भार सहन करने में समर्थ, दिव्प्य एवं शत्रुओं के लिये भयदायक है, वह खड्ग किसका है ?। बृहन्नले! मैंने जो पूछा है, उसे ठीक - ठीक बताओ। ये सब महान् अस्त्र - शस्त्र देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है। इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में उत्तर वाक्य विषयक बयालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|