महाभारत विराट पर्व अध्याय 39 श्लोक 14-17

एकोनचत्वारिश (39) अध्याय: विराट पर्व (गोहरण पर्व)

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महाभारत: विराट पर्व: एकोनचत्वारिंश अध्याय: श्लोक 14-17 का हिन्दी अनुवाद


कर्ण ने कहा - आचार्य! आप सदा हमारे सामने अर्जुन के गुणों की श्लाघा करते रहते हैं, परुतु अर्जुन मेरी और दुर्योधन की सोलहवीं कला के बराबर भी नहीं है। दुर्योधन ने कहा - राधा नन्दन! यदि यह अर्जुन है; तब तो मेरा काम ही बन गया। अंगराज! अब ये पाण्डव पहचान लिये जाने के कारएण फिर बारह वर्षों तक वन में भटकेंगे। और यदि यह नपुंसक वेश में कोई दूसरा ही मनुष्य है, तो इसे अत्यनत तीखे बाणों द्वारा अभी इस भूतल पर मार गिराऊँगा।

वैशम्पायन जी कहते हैं - परंतप! धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन के ऐसा कहने पर भीष्म, द्रोण, कृप और अश्वत्थामा ने उसके इस पराक्रम की बड़ी प्रशंसा की।

इस प्रकार श्रीमहाभारत विराट पर्व के अन्तर्गत गौहरण पर्व में उत्तर दिशा की ओर से गौओं के अपहरण के प्रसंग में अर्जुन की प्रशंसा विषयक उनतालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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